उत्तर प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम 20,000 मानदेय देने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट से पारित कराया जाएगा।

By Ravi Singh

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उत्तर प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम 20,000 मानदेय देने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट से पारित कराया जाएगा।

उत्तर प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम 20,000 मानदेय देने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट से पारित कराया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का मानदेय बीस हजार रुपए माह करने आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। यह आश्वासन उन्होंने राज्य कर्मचारी संगठन के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल के साथ लोकभवन में आयोजित बैठक में दिया। बैठक में प्रदेश के मान्यता प्राप्त राज्य कर्मचारियों के संगठनों के अध्यक्ष एवं महामंत्रियों ने भाग लिया।

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बैठक मुख्य सचिव कार्यालय के सभा कक्ष में हुई। इसमें राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से अध्यक्ष जेएन तिवारी, महामंत्री अरुणा शुक्ला और उपाध्यक्ष त्रिलोकी नाथ चौरसिया ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अतिरिक्त, एसपी तिवारी, हरी किशोर तिवारी और अरविंद वर्मा जैसे पदाधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

उत्तर प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम 20,000 मानदेय देने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट से पारित कराया जाएगा।

इन मांगों पर हुई चर्चा

बैठक के दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर अपना पक्ष रखा। परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने, न्यूनतम मानदेय निर्धारित करने और 2001 के बाद नियुक्त संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की। 

इसके अलावा, विभागीय संगठनों की मांगों पर विभागीय अधिकारियों द्वारा वार्ता करने, मान्यता प्राप्त संगठनों को विशेष अवकाश देने और बायोमेट्रिक से छूट देने के शासनादेश का अनुपालन सुनिश्चित करने की बात की गई। इसके साथ ही कर्मचारियों का वेतन विसंगति के समाधान के लिए समयबद्ध कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया।

बीस हजार मानदेय करने पर हो रहा विचार

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इन मुद्दों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आउटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट से पारित कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम 20,000 मानदेय देने पर सरकार विचार कर रही है। अन्य मांगों पर भी सकारात्मक आश्वासन दिया गया।

बैठक के दौरान बिजली विभाग में हो रहे निजीकरण के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। जेएन तिवारी ने निजीकरण के कारण कर्मचारियों के भविष्य पर चिंता व्यक्त की। विशेषकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के संबंध में। इस पर मुख्य सचिव ने आश्वस्त दिया कि किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं जाएगा। विद्युत संघर्ष मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के समाधान के लिए मुख्य सचिव ने संयुक्त मोर्चा के संयोजक शैलेंद्र दुबे से बातचीत करने की सहमति दी।

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