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UP Teacher Promotion : शिक्षक प्रमोशन पर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, टीईटी अनिवार्य करने पर विचार करे सरकार

UP Teacher Promotion
Written by Ravi Singh

UP Teacher Promotion : शिक्षक प्रमोशन पर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, टीईटी अनिवार्य करने पर विचार करे सरकार

 

UP Teacher Promotion: यूपी में शिक्षकों की प्रोन्नति को लेकर अहम खबर है, जिसके अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से शिक्षकों के प्रमोशन के लिए टीईटी अनिवार्य करने पर विचार करने को कहा है।

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लखनऊ. UP Teacher Promotion: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) द्वारा जारी अधिसूचना के मद्देनजर उप्र प्राथमिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियम 1981 के नियम 18 में संशोधन कर प्राथमिक विद्यालयों।

 

उच्च प्राथमिक विद्यालयों और नर्सरी विद्यालयों में अध्यापक के विभिन्न पदों पर प्रोन्नति के लिए टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य करने पर निर्णय करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि एनसीटीई ने 11 सितंबर, 2023 को अधिसूचना जारी कर ऐसी प्रोन्नतियों के लिए टीईटी को अनिवार्य किया था।

 

पीठ ने कहा कि जैसा कि नियम में आवश्यक बदलाव से पूर्व ऐसी प्रोन्नतियां नहीं की जाएंगी, इसलिए टीईटी को अनिवार्य किया जाए. पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश उन योग्य अध्यापकों की प्रोन्नति में बाधा नहीं है, जिन्होंने टीईटी की परीक्षा पास की है. न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बीआर सिंह की पीठ ने यह आदेश हिमांशु राणा और अन्य द्वारा दायर एक रिट याचिका पर पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और नर्सरी विद्यालयों में अध्यापक के विभिन्न पदों पर प्रोन्नति के लिए टीईटी मानक को शामिल नहीं किए जाने पर 1981 के सेवा नियमों की वैधता पर सवाल खड़ा किया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 11 सितंबर, 2023 को एनसीटीई ने स्पष्ट किया कि ऐसी प्रोन्नतियों के लिए टीईटी अनिवार्य है. इसलिए इस पात्रता के हिसाब से कोई प्रोन्नति नहीं की जा सकती. याचिकाकर्ताओं के वकील अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस निर्णय का हवाला दिया, जिसमें ऐसी प्रोन्नतियों के लिए टीईटी को अनिवार्य ठहराया गया है।

तीन सप्ताह के भीतर मांगा जवाबपीठ ने कहा कि चूंकि मद्रास उच्च न्यायालय का निर्णय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए मौजूदा मामले में विचार किए जाने की आवश्यकता है. अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

 

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