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इंक में बदलाव : चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा

इंक में बदलाव : चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा
Written by Ravi Singh

इंक में बदलाव : चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा

गड़बड़ी रोकने के लिए स्याही की गुणवत्ता में किया गया सुधार
वोटर के हाथों में चिकनाई होने पर पहले किया जाएगा साफ

इंक में बदलाव : चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा

चुनावों में अंगुलियों पर लगने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा। बल्कि, यह अंगुलियों पर लगने के पांच सेकंड के भीतर ही अपनी छाप छोड़ देगी। इतना ही नहीं, अंगुलियों में इसे लगाने से पहले अब यह भी देखा जाएगा कि मतदाता ने अपने हाथों में तेल या फिर चिकनाई वाली कोई चीज तो नहीं लगाई है। यदि ऐसा है तो पहले उसकी अंगुलियों को कपड़े से साफ किया जाएगा। फिर उसे लगाया जाएगा। यही वजह है कि चुनाव के दौरान मतदान कर्मियों को दी जाने वाली चुनाव सामग्री की किट में अब हाथों को साफ करने के लिए एक कपड़ा भी मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।

चुनाव आयोग ने यह पहल तब की है, जब चुनाव में गड़बड़ी करने वाले लोग पहचान को छुपाने और फिर से वोट डालने के लिए हाथों में लगने वाली अमिट स्याही को लगने

 

के तुरंत बाद मतदान कर्मियों की आंख बचा कर मिटा देते थे। चुनाव आयोग ने इस चुनौती को समझा और इससे निपटने के लिए अमिट स्याही बनाने वाली मैसूर (कर्नाटक) की कंपनी से संपर्क साधा। इसके बाद इसमें बदलाव किया गया है।

आम चुनाव में अमिट स्याही का इस्तेमाल पहली बार 1962 में किया गया था। खास बात यह है कि इस अमिट स्याही को बनाने का फार्मूला नई दिल्ली स्थित सीएसआइआर की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ने खोजा था। बाद में इसे बड़े स्तर पर तैयार करने का लाइसेंस कर्नाटक स्थित मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) को दिया गया, जो देश में इसे बनाने वाली सिर्फ एक मात्र कंपनी है।

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