Contract Employees Regularization News Latest Update: जनवरी से पहले यह संविदा कर्मचारी हो जाएंगे नियमित! डबल इंजन की सरकार ने शुरू की तैयारी
लखनऊ:Contract Employees Regularization News Latest Update संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्द अब सिर्फ एक राज्य तक ही सिमित नहीं रह गया है। देश के लगभग सभी राज्यों state में नियमितीकरण का मुद्दा गरमाने लगा है।
हालांकि हरियाणा, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य की सरकारों government ने नियमतीकरण पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में खबर News आ रही है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार government ने भी संविदा और डेलीवेज कर्मचारियों के नियमितीकरण का मन बना लिया है और इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
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मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय निदेशालय ने सभी शहरी निकायों से संविदा कर्मचारियों की सूची मांगी है। कहा जा रहा है कि शहरी निकायों से सहमति का प्रस्ताव मिलने के बाद नियमितीकरण के लिए वित्त और कार्मिक विभाग से अनुमति ली जाएगी। वहीं, ये जानकारी सामने आने के बाद ये कहा जा रहा है कि नए साल year यानि साल 2025 से पहले ही संविदा कर्मचारियों के नियमिकरण का आदेश जारी हो सकता है।
बता दें कि प्रदेश भर के कर्मचारी और शिक्षक संगठन संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। कर्मचारी और शिक्षक संगठनों की मांग देखते हुए कार्मिक विभाग ने साल year 2016 में एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी। इस नीति के मुताबिक दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा या डेलीवेज कर्मचारियों को रिक्तियों के पदों पर विनियमित किया जाना था।
कार्मिक विभाग vibhag ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के साथ प्रस्ताव विचाराधीन कर दिया था। अब शहरी निकायों में काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की तैयारी शुरू हो गई है।सूत्र बताते हैं कि शहरी निकाय अपने संसाधनों से ही विनियमित होने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह आदि का खर्च वहन करेंगे।
इससे सीधे तौर पर सरकार government पर वित्तीय भार नहीं आएगा। लिहाजा, विनियमितीकरण के आदेश में लगा सबसे बड़ा पेच समाप्त हो जाएगा और कर्मचारियों के विनियमित होने के रास्ता साफ हो जाएगा। शहरी निकायों के कर्मचारी लगातार विनियमितीकरण के संबंध में शासन में दबाव बना रहे हैं। बीते दिनों कर्मचारी संगठनों ने शासन को नोटिस notice भी जारी किया था कि अगर उनकी पुरानी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे और काम बंदी का भी फैसला लिया जा सकता है।
सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों के उसी आक्रोश को देखते हुए रुकी हुई प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है। यह भी तय कर लिया गया है कि शासन पर वित्तीय बोझ न पड़े, इसलिए वित्त विभाग vibhag ने कार्मिक विभाग vibhag का प्रस्ताव विचाराधीन रखा है।
लिहाजा, विनियमित किए जाने वाले इन कर्मचारियों पर आने वाले खर्च का वहन शहरी निकाय खुद करें। इससे वित्त विभाग की बड़ी आपत्तियों में से एक समाप्त भी हो जाएगी और कर्मचारियों का विनियमितीकरण भी हो जाएगा।